कही ऐसा न हो दामन जला लो
सोमवार, 13 जुलाई 2009
कही ऐसा न हो दामन जला लो
हमारे आसूओं पर खाक डालो
मानना भी ज़रूरी है तो फ़िर तुम
हमें सब से खफा हो के माना लो
बहुत रोई हुई लगती है ये आँखे
मेरी खातिर ज़रा काजल लगा लो
अकेलेपन से खौफ़ आता है मुझको
कहाँ हो मेरे ख्वाबो खयालो
बहुत मायूस बैठा हु मै तुमसे
कभी आकर मुझे हैरत में डालो
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13 जुलाई 2009 को 4:12 am बजे
atisundar sher hai.......badhiya
13 जुलाई 2009 को 4:24 am बजे
bahut sundar
13 जुलाई 2009 को 10:32 am बजे
बहुत मायूस बैठा हु मै तुमसे
कभी आकर मुझे हैरत में डालो
--बहुत सुन्दर!!