ऐ बशर ! ऐ बशर ! ऐ बशर !  

रविवार, 5 अप्रैल 2009

बशर ! बशर ! बशर !
काम कर, काम कर,काम कर

बे खतर , बे खतर. बे खतर
बे समर, बे समर, बे समर,

खौफ है तुझको किस बात का ?
खाक है ये सरापा
तेरा

असलियत है तेरी आत्मा
मौत से जो न होगी फ़ना

जिगर जालंधरी

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