या तो मिट जाइये या मिटा दीजिये
बुधवार, 15 अप्रैल 2009
या तो मिट जाइये या मिटा दीजिये
कीजिये जब भी सौदा खरा कीजिये
अब जफा कीजिये या वफ़ा कीजिये
आखिरी वक्त है बस दुआ कीजिये
अपने चेहरे से जुल्फे हटा दीजिये
और फ़िर चाँद का सामना कीजिये
हर तरफ़ फूल ही फूल खिल जायेगे
आप ऐसे ही हसते रहा कीजिये
आप की ये हसी जैसे घुंघरू बजे
और क़यामत है क्या ये बता दीजिये
16 अप्रैल 2009 को 12:04 am बजे
bahut hi badhiya jazbaat.
16 अप्रैल 2009 को 12:16 am बजे
दुनिया की हकीकत से रूबरू कराती एक सुंदर गजल।
----------
तस्लीम
साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन
16 अप्रैल 2009 को 1:36 am बजे
बहुत उम्दा रचना प्रेषित की है।बधाई।