तनहा चला हूँ मै रहगुज़र में  

सोमवार, 6 अप्रैल 2009

तनहा चला हूँ मै रहगुज़र में
भटक जाऊ कही सफर में

दिल चिराग बन के जला है
अब तो चले आओ मेरे घर में

कोई सुने फरियाद मेरी
पत्थर ही मिले है तेरे शहर में

कहते हो तुम की खुदा याद रखू
तुम ही खुदा हो मेरी नज़र में

गुलो की थी उम्मीद उससे ' दयाल '
खर बिखेर दिए जिसने डगर में

राम दयाल

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