कैसे कैसे हादसे सहते रहे
शुक्रवार, 17 अप्रैल 2009
कैसे कैसे हादसे सहते रहे
फ़िर भी जीते रहे हसते रहे
उसके आ जाने की उम्मीदे लिए
रास्ता मुड-मुड के हम तकते रहे
वक्त तो गुजरा मगर कुछ इस तरह
हम चिरागों की तरह जलते रहे
कितने चेहरे थे हमारे आस-पास
तुम ही तुम दिल में मगर बसते रहे
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