चाँद है अफताब है यह लोग
शनिवार, 11 जुलाई 2009
चाँद है अफताब है यह लोग
जिंदगी का निसाब है यह लोग
देख इनकी दराज जुल्फों को
रहमतों का सहाब है यह लोग
ऐसे चलते है जिस तरह चश्मे
जमजमे है, ख्वाब है यह लोग
लोग और इतने गुलबदन तौबा
क्या सराया गुलाब है यह लोग
लोग और वाकई हसी इतने
वाकिया है की ख्वाब है यह लोग
अदम
11 जुलाई 2009 को 2:16 am बजे
bahut hi khubsoorat hai ...........aapke ek ek sher
11 जुलाई 2009 को 6:19 am बजे
लोग और वाकई हसी इतने
वाकिया है की ख्वाब है यह लोग
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वाह क्या कहने!!
11 जुलाई 2009 को 11:59 pm बजे
सादर ब्लॉगस्ते!
आपका संदेश अच्छा लगा।
अब सरकोजी मामा ठहरे ब्रूनी मामी की नग्न तस्वीर के दीवाने। वो क्या जाने बुर्के की महिमा। पधारें "एक पत्र बुर्के के नाम" सुमित के तडके "गद्य" पर आपकी प्रतीक्षा में है