कत्ल करके लग रहे वो बेखबर से  

मंगलवार, 28 जुलाई 2009

कत्ल करके लग रहे वो बेखबर से
लो हमी अब चल दिए है इस शहर से

सीख कर आए कहाँ से ढंग नया तुम
घर जलाते हो निगाहों के शरर से

आंधिया-दर-आंधिया, हरसू अँधेरा
बन गया माहोल कैसा इक ख़बर से

टुकड़े टुकड़े हो चली है जिन्दगानी
है परेशां आदमी अपने सफर से

लिख रहा है हर किसी का वो मुकद्दर
बच नही पाया कोई उसकी नज़र से

AddThis Social Bookmark Button
Email this post


2 टिप्पणियाँ: to “ कत्ल करके लग रहे वो बेखबर से

Design by Amanda @ Blogger Buster