बिखरे मोती
सोमवार, 13 जुलाई 2009
कभी करीब कभी दूर हो के रोते है
मोहब्बतों के भी मौसम अजीब होते है
अजहर इनायती
आज तक जो कुछ भी देखा, सुना, पढ़ा, जाना, समझा वो सब कुछ जो यहाँ से वहां से जाने कहाँ कहाँ से जमा किया वो सब कुछ इस ब्लॉग पे डाल रहा हूँ. वैसे तो मेरी कोशिश होगी की हर रचना के साथ उसके रचनाकार का नाम भी दे दू लेकिन अगर कभी ऐसा न कर सको तो अपना दोस्त समझ के माफ़ कर दीजियेगा.
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13 जुलाई 2009 को 10:47 pm बजे
बहुत खूब कहा है आपने
14 जुलाई 2009 को 12:21 am बजे
bahut achcha
14 जुलाई 2009 को 1:43 am बजे
EKDUM SAHI KAHA AAPNE ....SHUKRIYA
14 जुलाई 2009 को 4:22 am बजे
कभी करीब कभी दूर हो के रोते है
मोहब्बतों के भी मौसम अजीब होते है
-सही!
14 जुलाई 2009 को 6:06 am बजे
खुब.. वाह बाह..