सारे माहौल को जाने क्या हो गया
सोमवार, 27 जुलाई 2009
सारे माहौल को जाने क्या हो गया
जिंदा रहना भी अब तो सज़ा हो गया
एक मगरूर तारा बहुत दिन हुए
आसमानों से गिर कर फ़ना हो गया
अब किनारों के मिलने की उम्मीद क्या
दोनों जानब बड़ा फासला हो गया
रात भर खेमा-ऐ-दिल में हलचल रही
जाने बस्ती में क्या हादसा हो गया
सारी दुनिया में जब उसका कोई नही
वो मेरा हो गया तो क्या हो गया
ठोकरे खाते खाते हर इक गाम पर
अब तो 'महक' उसको होसला हो गया
यासमीन महक
27 जुलाई 2009 को 11:47 pm बजे
गज़ल के शुरू के दो शेर लाजवाब है।
मुबारकवाद।
28 जुलाई 2009 को 5:05 am बजे
सारी दुनिया में जब उसका कोई नही
वो मेरा हो गया तो क्या हो गया
-बढ़िया.