यही नही की सदाए लगा के देखते है
सोमवार, 13 जुलाई 2009
यही नही की सदाए लगा के देखते है
कुए में कौन है पत्थर हटा के देखते है
गुलाम अब न हवेली से आयेगे लेकिन
हुजुर अब भी ताली बजा के देखते है
अजाफा होता है कितना हमारी इज्ज़त में
रईस-ऐ-शहर को घर पर बुला कर देखते है
अजहर इनायती
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