सरहद-ऐ-कौन- ये मंका से लामंका ले जाएगा
रविवार, 1 फ़रवरी 2009
सरहद-ऐ-कौन- ये मंका से लामंका ले जाएगा
जब ज़मीन छोडेगी हमको आसमा ले जाएगा
खामशी ही खामशी के करब का इज़हार हो
लफ्ज़ खामोशी से लुत्फ़-ऐ-दास्ता ले जाएगा
आजाद गुलाटी
आज तक जो कुछ भी देखा, सुना, पढ़ा, जाना, समझा वो सब कुछ जो यहाँ से वहां से जाने कहाँ कहाँ से जमा किया वो सब कुछ इस ब्लॉग पे डाल रहा हूँ. वैसे तो मेरी कोशिश होगी की हर रचना के साथ उसके रचनाकार का नाम भी दे दू लेकिन अगर कभी ऐसा न कर सको तो अपना दोस्त समझ के माफ़ कर दीजियेगा.
सरहद-ऐ-कौन- ये मंका से लामंका ले जाएगा
जब ज़मीन छोडेगी हमको आसमा ले जाएगा
खामशी ही खामशी के करब का इज़हार हो
लफ्ज़ खामोशी से लुत्फ़-ऐ-दास्ता ले जाएगा
Posted in आजाद गुलाटी by Rahul kundra
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1 फ़रवरी 2009 को 7:46 am बजे
सरहद-ऐ-कौन- ये मंका से लामंका ले जाएगा
जब ज़मीन छोडेगी हमको आसमा ले जाएगा
-क्या बात है..वाह!!