इतने करीब आके सदा दे गया मुझे
शुक्रवार, 13 फ़रवरी 2009
इतने करीब आके सदा दे गया मुझे
में बुझ रही थी कोई हवा दे गया मुझे
जीने का इक मिजाज़ नया दे गया मुझे
माँगा था मैंने ज़हर दवा दे गया मुझे
अंजुम रहबर
आज तक जो कुछ भी देखा, सुना, पढ़ा, जाना, समझा वो सब कुछ जो यहाँ से वहां से जाने कहाँ कहाँ से जमा किया वो सब कुछ इस ब्लॉग पे डाल रहा हूँ. वैसे तो मेरी कोशिश होगी की हर रचना के साथ उसके रचनाकार का नाम भी दे दू लेकिन अगर कभी ऐसा न कर सको तो अपना दोस्त समझ के माफ़ कर दीजियेगा.
इतने करीब आके सदा दे गया मुझे
में बुझ रही थी कोई हवा दे गया मुझे
जीने का इक मिजाज़ नया दे गया मुझे
माँगा था मैंने ज़हर दवा दे गया मुझे
Posted in अंजुम रहबर by Rahul kundra
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13 फ़रवरी 2009 को 2:26 am बजे
अंजुम की ये अभिव्यक्ति वाकई बहुत ही सुंदर है , पढ़कर अच्छा लगा .....!