नए सफर का नया इंतजाम कह देंगे
मंगलवार, 17 फ़रवरी 2009
नए सफर का नया इंतजाम कह देंगे
हवा को धुप, चिरागों को शाम कह देंगे
किसी से हाथ भी चुप कर मिलाइए वरना
इसे भी मौलवी साहब हराम कह देंगे
डा. राहत इंदौरी
आज तक जो कुछ भी देखा, सुना, पढ़ा, जाना, समझा वो सब कुछ जो यहाँ से वहां से जाने कहाँ कहाँ से जमा किया वो सब कुछ इस ब्लॉग पे डाल रहा हूँ. वैसे तो मेरी कोशिश होगी की हर रचना के साथ उसके रचनाकार का नाम भी दे दू लेकिन अगर कभी ऐसा न कर सको तो अपना दोस्त समझ के माफ़ कर दीजियेगा.
नए सफर का नया इंतजाम कह देंगे
हवा को धुप, चिरागों को शाम कह देंगे
किसी से हाथ भी चुप कर मिलाइए वरना
इसे भी मौलवी साहब हराम कह देंगे
Posted in डा. राहत इंदौरी by Rahul kundra
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