ख़ुद को सवारूगी घर को सजा लूंगी  

बुधवार, 11 फ़रवरी 2009

ख़ुद को सवारूगी घर को सजा लूंगी
आएगा वो जिस दिन ईद माना लूंगी

मुझ से छुपा कर तू लाख रखे ख़ुद को
तुझको किसी दिन में तुझसे चुरा लूंगी

दूरिया यादो की रंगीन पतगे है
तू भी उडा लेना में भी उडा लूंगी

नींदे तो मेरी है ख्वाब तो तेरे है
जब भी में चाहूगी तुझ को बुला लूगी

अंजूम रहबर

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