लोग बहरे है इन्हे दिल की सुनाया न करो  

सोमवार, 9 फ़रवरी 2009

लोग बहरे है इन्हे दिल की सुनाया करो
बंद दरवाजों पे आवाज़ लगाया करो

पत्थरो से कहाँ मिलती है मुरादे दिल की
तुम मजारो पे चिरागों को जलाया करो

वक्त की आंधी उडाकर कही ले जाए
रेत पर तुम मेरी तस्वीर बनाया करो

उमर भर कौन रहा साथ किसी के ' अश्क '
तुम मेरी याद में अब अश्क बहाया करो

अश्क अम्बालवी

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3 टिप्पणियाँ: to “ लोग बहरे है इन्हे दिल की सुनाया न करो

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