शाम जब भी परिंदे चहकने लगे  

बुधवार, 11 फ़रवरी 2009

शाम जब भी परिंदे चहकने लगे
मेरी पलकों पे जुगनू चमकने लगे

उसके आने की बस एक ख़बर आई थी
और कलाई के कंगन खनकने लगे

जरफ है लाज़मी आदमी के लिए
तुमने पी भी नही और बहकने लगे

अंजुम रहबर

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