बिखरे मोती
गुरुवार, 5 फ़रवरी 2009
साफ़ गोई से क्या लिया हमने
सबको दुश्मन बना लिया हमने
गैर नीचा ख़ुद-ब-ख़ुद हो जाएगा
ख़ुद को पहले उससे ऊँचा कीजिये
कब वो रुकते है किसी मंजिल पर
जिनको चलने में मज़ा आता है
दर्द की जब कोई दवा ही नही
क्यो न फ़िर दर्द को दवा कहिये
पेड़ को काट कर तू पछतायेगा
फूल-फल क्या, शाख से भी जाएगा
5 फ़रवरी 2009 को 4:59 am बजे
Sach kaha...sundar rachna.
5 फ़रवरी 2009 को 8:38 am बजे
प्रकृति संरक्षण आवश्यक है! सुन्दर रचना!