अगर तलाश करू कोई मिल ही जाएगा
सोमवार, 9 फ़रवरी 2009
अगर तलाश करू कोई मिल ही जाएगा
मगर तुम्हारी तरह कौन मुझको चाहेगा
तुम्हे जरूर कोई चाहतो से देखेगा
मगर वो आँखे हमारी कहाँ से लायेगा
न जाने कब मेरे दिल पर नई सी दस्तक हो
मकान खली हुआ है तो कोई आएगा
डा. बशीर बदर
9 फ़रवरी 2009 को 3:06 am बजे
दो शे'र और मुलाहिज़ा फरमायें:
मैं अपनी राह में दीवार बनके बैठा हूँ
अगर वह आया तो किस रास्ते से आयेगा
तुम्हारे साथ ये मौसम फ़रिश्तों जैसा है
तुम्हारे बाद यह मौसम बहुत सतायेगा
---
चाँद, बादल और शाम
9 फ़रवरी 2009 को 3:29 am बजे
कोशिश करो की कोई तुम से ना रूठे, जिंदगी में अपनों का साथ न छूटे, रिश्ता कोई भी हो उसे ऐसा निभाओ, की उस रिश्ते की डोर जिंदगी भर ना टूटे "
Regards
9 फ़रवरी 2009 को 3:41 am बजे
aapki post aur vinay ji ka comment dono mila kar bahut achchhe