बिखरे मोती
गुरुवार, 19 फ़रवरी 2009
हसरतो का हो गया है
इस कदर दिल में हुजूम
साँस रास्ता ढूंढती
आने जाने के लिए
साँस आए जिंदगी है
न आए मौत है
मौत और जिंदगी में कोई फासला नही
खूने नाहक नही परवानो का देखा जाता
हम चिरागों को सरेआम बुझा देते है
मिट के भी अपने साथ रखता है
नेक इन्सान, नेक सीरत को
मसले जाने के बावजूद गुलाब
तर्क करता नही निकहत को
फूल कितना भी खूबसूरत हो
उसमे निकहत नही तो कुछ नही
लाख जौहर हो आदमी में अगर
आदमियत नही तो कुछ भी नही
हुआ मायूस जब इन्सान
दुनिया के सहारो से
उसे फ़िर गैब से कोई
सहारा मिल ही जाता है
हुज़ुमे कुफ्र ने जिस वक्त
घेरा एहले ईमा को
बचाने को कोई अल्लाह का
प्यारा मिल ही जाता है
सब हाल मेरा देख के
बड जाते है आगे
रुक कर जो सुन सके कोई
भी ऐसा नही मिलता
मिलते है मुझे जानने वाले तो हजारो
लेकिन कोई पहचाने वाला नही मिलता
19 फ़रवरी 2009 को 3:31 am बजे
बहुत खूब लिखते हैं आप ....
फूल कितना भी खूबसूरत हो
उसमे निकहत नही तो कुछ नही
लाख जौहर हो आदमी में अगर
आदमियत नही तो कुछ भी नही
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति