लिख कर वरक-ऐ-दिल से मिटाने नही होते
बुधवार, 18 फ़रवरी 2009
लिख कर वरक-ऐ-दिल से मिटाने नही होते
कुछ लफ्ज़ ऐसे है हो पुराने नही होते
जब चाहे कोई फूक दे ख्वाबो के नशेमन
आँखों के उजड़ने के ज़माने नही होते
हो जाए जहां शाम, वही इनका बसेरा
अवारा परिंदों के ठिकाने नही होते
मखमूर सय्य्दी
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