कभी तो पतंग उडा के देख  

शुक्रवार, 27 फ़रवरी 2009

कभी तो पतंग उडा के देख
ख्वाब से आँख लड़ा के देख

ख़ुद ठिकाने पहूचा आएगी
हवा को ख़त पकड़ा के देख

हँसेगी दो - चार मुलाकातों में
जिंदगी को जरा चिढा के देख

आइना देखता रह जाएगा
पाव ज़रा लडखडा के देख

घुल-मिल जाएगा हवाओ में
परिंदे को ज़रा उडा के देख

अशोक प्लेटो

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