कोई दोस्त है न रकीब है
सोमवार, 16 मार्च 2009
कोई दोस्त है न रकीब है
तेरा शहर कितना अजीब है
कोई दोस्त है.........................
वो जो इश्क था वो जूनून था
ये जो हिजर है ये नसीब है
कोई दोस्त है.........................
यहाँ किसका चेहरा पड़ा करू
यहाँ कौन इतना करीब है
कोई दोस्त है.........................
यहाँ किस से कहू मेरे साथ चल
यहाँ सब के सर पे सलीब है
कोई दोस्त है.........................
तुझे देख कर में हूँ सोचता
तू हबीब है या रकीब है
कोई दोस्त है.........................
कोई दोस्त है.........................
तेरा शहर कितना....................
कोई दोस्त है.........................
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