आँखों में रात ख्वाब का खंज़र उतर गया  

शनिवार, 21 मार्च 2009

आँखों में रात ख्वाब का खंज़र उतर गया
यानि सहर से पहले चिरागे सहर गया

इस फ़िक्र ही में अपनी तो गुजरी तमाम उमर
में उसको था पसंद तो क्यो छोड़ कर गया

आंसू मेरे तो मेरे ही दामन में आए थे
आकाश कैसे इतने सितारों से भर गया

कोई दुआ कभी तो हमारी कबूल कर
वरना कहेगे लोग, दुआ से असर गया

शीन काफ निजाम

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