बुत परस्ती सिखा गया मुझको
मंगलवार, 17 मार्च 2009
बुत परस्ती सिखा गया मुझको
दर्द पत्थर बना गया मुझको
जिंदगी मौत के हिंडोले पर
आज फ़िर प्यार आ गया मुझको
नींद उचटी तो ख्वाब टूटेगे
थपकियों में बता गया मुझको
साज़ की कब्र में दफ़न सरगम
कौन चुपचाप गा गया मुझको
में नदी की तरह उछलता था
इक समंदर निगल गया मुझको
भीड़ के भी उसूल होते है
शोर में भी सुना गया मुझको
सत्य प्रकाश उप्पल
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