माजी की हर इक चोट उभर आई है  

गुरुवार, 19 मार्च 2009

माजी की हर इक चोट उभर आई है
यह दर्द मेरी जान का तमन्नाई है

जाओ किसी तरह कि ता-हदे नज़र
तन्हाई है, तनहाई है, तनहाई है

(शीन काफ निजाम)

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