दर्द की स्याही से लिखा ये मेरा नसीब था
मंगलवार, 24 मार्च 2009
दर्द की स्याही से लिखा ये मेरा नसीब था
बिक गई मेरी मोहब्बत में गरीब था
पल भर को तो हम भी न संभल पाए थे
गुजरा ही वो हादसा हम पर अजीब था
तमाम उमर जिंदगी समझ जिसे चाहा
वो आखिरी सफर में भी न मेरे करीब था
खुशिया बाट्ता रहा में सबसे जिंदगी की
अब गम के अंधेरो में न की शरीक था
दिल, दुनिया, देवता, सब पत्थर के है
सुना है हमने कहता एक फ़कीर था
कुनाल महाजन
24 मार्च 2009 को 6:20 am बजे
बहुत लाजवाब आभार.
24 मार्च 2009 को 10:30 am बजे
बहुत बढिया ...