आँखों आँखों में बात हुई जाती है  

मंगलवार, 17 मार्च 2009

आँखों आँखों में बात हुई जाती है
आज उनसे मुलाकात हुई जाती है

उठती-गिरती ये पलक, बेकल वो नज़र
हाय मोहब्बत भरा पैगाम लती है

यूं तो हर गुल है मोहब्बत के काबिल
इस गुल से ही क्यो मात हुई जाती है

लाख छुपाना चाहा जज़्बात को लेकिन
बात छुपती नही खुलती चली जाती है

है अजीबो-गरीब मंज़र ये मोहब्बत का
इक मुसलमा से बुतपरस्ती हुई जाती है

अलविदा तुमसे है इस वादे के साथ
आज जिंदगी तुम्हारी हुई जाती है

विष्णु सक्सेना

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