वो सोच वो जज़्बात कहाँ से लाऊ
सोमवार, 16 मार्च 2009
वो सोच वो जज़्बात कहाँ से लाऊ
गुम गुजश्ता करामात कहाँ से लाऊ
ऐ रात के बड़ते हुए तीर सायो
गुजरे हुए लम्हात कहाँ से लाऊ
(शीन काफ निजाम )
आज तक जो कुछ भी देखा, सुना, पढ़ा, जाना, समझा वो सब कुछ जो यहाँ से वहां से जाने कहाँ कहाँ से जमा किया वो सब कुछ इस ब्लॉग पे डाल रहा हूँ. वैसे तो मेरी कोशिश होगी की हर रचना के साथ उसके रचनाकार का नाम भी दे दू लेकिन अगर कभी ऐसा न कर सको तो अपना दोस्त समझ के माफ़ कर दीजियेगा.
वो सोच वो जज़्बात कहाँ से लाऊ
गुम गुजश्ता करामात कहाँ से लाऊ
ऐ रात के बड़ते हुए तीर सायो
गुजरे हुए लम्हात कहाँ से लाऊ
Posted in शीन काफ निजाम by Rahul kundra
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16 मार्च 2009 को 4:53 am बजे
bahut khub
16 मार्च 2009 को 11:17 am बजे
अच्छी रचना है ...