अपने-आपको सताया न करो
मंगलवार, 24 मार्च 2009
अपने-आपको सताया न करो
दिल किसी से लगाया न करो
मोहब्बत करो शौक से करो
फ़िर बाद में पछताया न करो
फूक डाले जो अपना ही घर
ऐसे चिरागों को जलाया न करो
बहने दो आँखों से आसू
दर्द सिने में छुपाया न करो
किसी की जान भी जा सकती है
सबके सामने मुस्कराया न करो
दिल देने का गर हौसला रखते हो
जान देने से घबराया न करो
तुम भी पागल हो जाओगे ' आमीन '
दिल-ऐ-नादान को समझाया न करो
मौ. आमीन खाकी
24 मार्च 2009 को 3:24 am बजे
क्या बात है साहब ...बहुत ही बेहतरीन
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति