शब-ऐ-गम से जो हो खौफ अगर  

सोमवार, 23 मार्च 2009

शब--गम से जो हो खौफ अगर
इक शमा--उम्मीद जलाया कीजिये

यू तन्हाइयो से कभी घबराइए
किसी गैर को अपना बनाया कीजिये

कीजिये गिला औरो की बेवफाई का
आप अपना वायदा निभाया कीजिये

तय कीजिये गैरो की खुशी खातिर
अपनी हसी में गम को छुपाया कीजिये

चाहे कभी जो कोई दोस्त बनना
मुस्करा के पहला कदम बढाया कीजिये

ख़ुद हसिये, औरो को हसाइए
यू दिलो की विरानिया मिटाया कीजिये

रोहित ऋषि

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