ग़ज़ल
मंगलवार, 13 जनवरी 2009
तुम्हारे बिना दिल परेशां होगा
चले आओगे तो एहसान होगा
ये माना की दिल परेशां होगा
पर अभी घर से आना न आसान होगा
हो तुम्हारे बिना दिल परेशां होगा
चले आओगे तो एहसान होगा
ये वादा करो तो चले आएगे हम
कोई और न दिल में मेहमान होगा
तुम्हारे सिवा कोई और दिल में हो
भला फ़िर कौन मुझसा नादाँ होगा
तुम्हारे बिना दिल परेशां होगा
चले आओगे तो एहसान होगा
ये माना की दिल परेशां होगा
पर अभी घर से आना न आसान होगा
किसी रोज़ चहेरे से परदा हटा दो
तुम्हारे लिए तो ये आसान होगा
अगर मैंने चेहरे से परदा हटाया
तो महफिल में हर दिल परेशां होगा
तुम्हारे बिना दिल परेशां होगा
चले आओगे तो एहसान होगा
ये माना की दिल परेशां होगा
पर अभी घर से आना न आसान होगा
13 जनवरी 2009 को 1:12 am बजे
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