हर तरफ़ है धुआं -धुआं यारो
शनिवार, 31 जनवरी 2009
हर तरफ़ है धुआं -धुआं यारो
हम जले है कहाँ-कहाँ यारो आए
शाम होते ही याद आते हो
कम न हो अब ये दुरिया यारो
हम जले है कहाँ-कहाँ यारो
फल दरख्तों से तोड़ लो ख़ुद ही
जाने कब आए आधिया यारो
हम जले है कहाँ-कहाँ यारो
रात आए तो जाग जाती है
मेरे कमरे की खिड़किया यारो
हम जले है कहाँ-कहाँ यारो
31 जनवरी 2009 को 2:35 am बजे
bahut khub
31 जनवरी 2009 को 5:23 am बजे
अति सुन्दर
31 जनवरी 2009 को 6:00 am बजे
बहुत उम्दा.