ग़ज़ल  

मंगलवार, 13 जनवरी 2009

आख़िर ख्याल अपना बदलना पड़ा हमें
दुनिया के साथ-साथ ही चलना पड़ा हमें
दी हमने रौशनी तो कुछ अहेसान नही किया
हम थे ही जब चिराग तो जलना पड़ा हमें
आख़िर ख्याल अपना...........................
था उसकी देखभाल का जिम्मा हमारा फ़र्ज़
ठोकर तो खाई उसने, संभलना पड़ा हमें
आख़िर ख्याल अपना............................
हम ख़ुद ही अपनी राह के कांटे थे इसलिए
ख़ुद अपने ही आप कुचलना पड़ा हमें
आख़िर ख्याल अपना............................

AddThis Social Bookmark Button
Email this post


0 टिप्पणियाँ: to “ ग़ज़ल

Design by Amanda @ Blogger Buster