ग़ज़ल  

गुरुवार, 15 जनवरी 2009

तू भोला है, लूट जाएगा, पागलपन की बात कर
तेरा मन हो या फ़िर कंचन आभूषण की बात कर
रिमझिम बूंदे, तीज मखमली, रेशमी गीतों वाले झूले
गए दिनों की यादे है अब उस सावन की बात कर
तेरी आँखों में है अशर्फी, हाथो में नीलाम कलम
पाहन बंधे हुए पंखो से खुले गगन की बात कर
अब तो अपनों के ही हाथो में गर्दन है खैर नही
तुझे छाव में डाल जाए जो उस दुश्मन की बात कर
प्रतिबिम्बों की इस दुनिया में असल नक़ल का भेद किसे
चिडिया चोंच तुडा बैठैगी तू दर्पण की बात कर
नए विधानों की सूची में सोचना भी संगीन जुर्म है
सूली चडा दिया जाएगा नव-चिंतन की बात कर

राज गोपाल सिंह

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